अब के बरस भेज भैया को बाबुल / बंदिनी


गीतकार : शैलेन्द्र

अब के बरस भेज भैया को बाबुल
सावन में लीजो बुलाय रे
लौटेंगी जब मेरे बचपन की सखियाँ
देजो संदेशा भिजाये रे
अब के बरस भेज भैय्या को बाबुल ...
अम्बुवा तले फिर से झूले पड़ेंगे
रिमझिम पड़ेंगी फुहारें
लौटेंगी फिर तेरे आंगन में
बाबुल सावन की ठंडी बहारें
छलके नयन मोरा कसके रे जियरा
बचपन की जब याद आए रे
अब के बरस भेज भैय्या को बाबुल ...
बैरन जवानी ने छीने खिलौने
और मेरी गुड़िया चुराई
बाबुल थी मैं तेरे नाज़ों की पाली
फिर क्यों हुई मैं पराई
बीते रे जग कोई चिठिया न पाती
न कोई नैहर से आये,रे
अब के बरस भेज भैय्या को बाबुल ...-

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