काहे को ब्याहे बिदेस
काहे को ब्याहे बिदेस, अरे, लखिय बाबुल मोरे
काहे को ब्याहे बिदेस
भैया को दियो बाबुल महले दो-महले
हमको दियो परदेसअरे, लखिय बाबुल मोरे
काहे को ब्याहे बिदेस
हम तो बाबुल तोरे खूँटे की गैयाँ
जित हाँके हँक जैहेंअरे, लखिय बाबुल मोरे

काहे को ब्याहे बिदेसहम तो बाबुल तोरे बेले की कलियाँघर-घर माँगे हैं जैहेंअरे, लखिय बाबुल मोरेकाहे को ब्याहे बिदेसकोठे तले से पलकिया जो निकलीबीरन में छाए पछाड़अरे, लखिय बाबुल मोरेकाहे को ब्याहे बिदेसहम तो हैं बाबुल तोरे पिंजरे की चिड़ियाँभोर भये उड़ जैहेंअरे, लखिय बाबुल मोरेकाहे को ब्याहे बिदेसतारों भरी मैनें गुड़िया जो छोडी़छूटा सहेली का साथअरे, लखिय बाबुल मोरेकाहे को ब्याहे बिदेसडोली का पर्दा उठा के जो देखाआया पिया का देसअरे, लखिय बाबुल मोरेकाहे को ब्याहे बिदेसअरे, लखिय बाबुल मोरेकाहे को ब्याहे बिदेसअरे, लखिय बाबुल मोरे

-अमिर खुसरो
हम तो हैं परदेस में, देस में निकला होगा चांद

अपनी रात की छत पर कितना तनहा होगा चांद


जिन आँखों में काजल बनकर तैरी काली रातउन आँखों में आँसू का इक, कतरा होगा चांद
रात ने ऐसा पेंच लगाया, टूटी हाथ से डोरआँगन वाले नीम में जाकर अटका होगा चांद
चांद बिना हर दिन यूँ बीता, जैसे युग बीतेमेरे बिना किस हाल में होगा, कैसा होगा चांद

राही मासूम रज़ा
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