तीन बहनें

वे खिल-खिल, खिल-खिल हंसती हैं
हंसी उनकी हवा में घुल-घुल,घुल-घुल जाती है
वे हंसती हैं और बस हंसती चली जाती हैं
एक निश्चाल, नि:स्वार्थ और उनमुक्त हंसी
वे हंसती हैं
साथ –साथ उनके हंसता है पूरा आलम
उनकी हंसी चिड़ियों तक पहुंचती है...
और वे गाने लगती हैं ...
फूल सुनते हैं और खिलने लगते हैं ..
उनकी हंसी नदि को छूती है और तरंगें उठने लगती हैं
पास वाले बगीचे में उसकी हंसी जाती है
और अमरूद में मीठास घोल आती है....
सबेरे का सूरज रास्ते में उनकी हंसी सुनता है
और उसके गालों पर लाली छा जाती है...
वे नहीं जानतीं
हर रात चान्द
उनकी हंसी सुनने ही
उनके छत पर आता है
और अनगिनत तारे
दूर से ही
टीम-टीम,टीम-टीम करते हैं ...

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