ठहरा हुआ ये मौसम बदल जाता
गर तुम आते ,
इस ठूठ पर कोंपल आता
गर तुम आते ।
जब से गए हो जीवन ढहर गया है
रातें नहीं गुजरतीं
दिन भी पसर गया है ,
चाँद को मिलती गति
सूरज भी दौड़ जाता
गर तुम आते
इस ठूंठ पर कोंपल आता
गर तुम आते.....!
गर तुम आते ,
इस ठूठ पर कोंपल आता
गर तुम आते ।
जब से गए हो जीवन ढहर गया है
रातें नहीं गुजरतीं
दिन भी पसर गया है ,
चाँद को मिलती गति
सूरज भी दौड़ जाता
गर तुम आते
इस ठूंठ पर कोंपल आता
गर तुम आते.....!
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